महिला कार्यकर्ता और गैर-कैडर मतदाता कांग्रेस के जातिगत गणना से कम प्रभावित: वरिंदर गर्ग

महिला कार्यकर्ता और गैर-कैडर मतदाता कांग्रेस के जातिगत गणना से कम प्रभावित: वरिंदर गर्ग

Women workers and non-cadre voters less affected by Congress

Women workers and non-cadre voters less affected by Congress

भाजपा के चुनाव आयोग समन्वय विभाग के संयोजक ने कहा नए वोटरों की अधिक संख्या यानी युवाओं में भाजपा के प्रति विश्वास को दर्शाता है

अर्थ प्रकाश संवाददाता
पंचकूला। Women workers and non-cadre voters less affected by Congress: 
हरियाणा में होने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा सत्ता विरोधी भावना से निपटने के लिए 47% महिला मतदाताओं पर निर्भर है। 
चुनाव प्रचार के आखिरी दौर में भाजपा महिलाओं के साथ गैर कैडर मतदाताओं को लुभाने के लिए हरसंभव कोशिश कर रही है। पार्टी को लगता है कि यह रणनीति गेम चेंजर साबित हो सकती है।

पार्टी को उम्मीद है कि जहां उसकी महिला कार्यकर्ता उसके पक्ष में सामूहिक रूप से मतदान करेंगी, वहीं गैर-कैडर मतदाता कांग्रेस के जातिगत गणना से कम प्रभावित होंगे और योग्यता के आधार पर मतदान करेंगे। पिछले 10 वर्षों में भाजपा की महिला-केन्द्रित पहल रही है। 

भाजपा के चुनाव आयोग समन्वय विभाग के संयोजक एवं वरिष्ठ नेता वरिंदर गर्ग ने कहा कि कांग्रेस का संगठनात्मक ढांचा गुटबाजी से भरा हुआ है।
पार्टी का सुव्यवस्थित संगठनात्मक ढांचा, विशेषकर महिला मोर्चा, निश्चित रूप से हमारी मदद करेगा। बूथ स्तर पर हमारा सूक्ष्म प्रबंधन, जहां महिलाओं की अच्छी खासी आबादी है । हमें कांग्रेस पर बढ़त दिलाएगा। हाल ही में पंजीकृत 1,29,392 नए मतदाताओं में से 65,352 महिलाएं हैं जबकि 64,031 पुरुष हैं। उन्होंने कहा कि इससे साफ पता चलता है कि वे चुनावी प्रक्रिया में भाग लेने के लिए अधिक उत्सुक हैं, जो भाजपा में युवाओं के विश्वास को दर्शाता है। बढ़ती जागरूकता के साथ, मतदाता मतदान में लैंगिक अंतर, जो 2005 के विधानसभा चुनावों में 3 प्रतिशत था (74.23 प्रतिशत पुरुष और 70.24 प्रतिशत महिला), 2019 में घटकर लगभग 1.5 प्रतिशत (68.65 प्रतिशत पुरुष और 67.09 प्रतिशत महिला) हो गया है।

कांग्रेस की 'वोट के लिए नौकरी' टिप्पणी के बाद भाजपा की नीति में कोई बदलाव नहीं

विधानसभा चुनाव से पहले कुछ कांग्रेस नेताओं के 'वोट के लिए नौकरियां' वाले बयान की पृष्ठभूमि में राज्य के युवाओं को लुभाने के लिए कुछ 'अवास्तविक वादे' करने के प्रलोभनों के बावजूद, भगवा पार्टी अपनी आजमाई हुई योग्यता आधारित पारदर्शी भर्ती नीति में कोई बदलाव करने के मूड में नहीं है।  वरिंदर गर्ग ने आरोप लगाया कि हुड्डा के शासनकाल में 'खार्ची और पर्ची' (नौकरी के लिए नकद) की व्यवस्था के लिए बेरोजगार युवाओं को बाध्य किया जाता है। युवा अपने घरबार और जमीनों को बेचकर या फिर भारीभरकम कर्जा लेकर नकद की व्यथा करते थे।

हालांकि, कार्यवाहक मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी समेत भाजपा के वरिष्ठ नेताओं के बयानों को यदि कोई संकेत माना जाए तो पार्टी अपनी योग्यता आधारित भर्ती नीति से कोई विचलन करने के मूड में नहीं है, जिसे भाजपा सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक बताया जा रहा है।

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